उत्तर प्रदेश सरकार ने इन दोनों महिलाओं को प्रतिष्ठित रानी लक्ष्मी बाई बहादुर पुरस्कार, 2016 को सम्मानित भी किया है। प्रतिभा ने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की है और प्राची को इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल है।
मेट्रो रेल का प्रक्रम देश के तमाम शहरों की लाइफलाइन बनता जा रहा है। मेट्रो जितना ज्यादा सुविधाजनक है उतना ही ज्यादा सुरक्षित। मेट्रो में महिलाओं का खासा ध्यान रखा जाता है। लेकिन मेट्रो को चलाने में महिलाओं की भागेदारी कम ही रही है। इस पेशे को पुरुष-प्रभुत्व माना जाता गया है। चेन्नई के अलावा मेट्रो की सुविधा वाले बाकी सभी भारतीय शहरो में 3% से भी कम महिलाओं को रेल चालाक के रूप में नौकरी दी जाती है। देश में पहली बार ऐसा हुआ था जब किसी मेट्रो रेल को चलाने की शुरुआत महिलाओं ने की थी। लखनऊ मेट्रो के पायलट रन में प्रतिभा शर्मा और प्राची शर्मा ने रेल दौड़ाई थी। दोनों महिलाएं इलाहाबाद से हैं।
इस तरह 1 दिसम्बर 2016 को लखनऊ भारत का पहला ऐसा शहर बन गया जहां महिला चालकों द्वारा मेट्रो रेल की शुरुआत की गयी। यह फैसला लखनऊ मेट्रो रेल कोरपोरेशन (एलएमआरसी) द्वारा महिलाओं को इस क्षेत्र में प्रेरित करने के लिए लिया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने इन दोनों महिलाओं को प्रतिष्ठित रानी लक्ष्मी बाई बहादुर पुरस्कार, 2016 को सम्मानित भी किया है। प्रतिभा ने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की है और प्राची को इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल है। इन दोनों ने जून महीने में स्टेशन कंट्रोलर के तौर पर एलएमआरसी में काम करना शुरू किया था। जब एलएमआरसी ने ट्रेन ऑपरेटर के 97 पद के लिए आवेदन मांगे थे और इसके लिए 3,827 आवेदन महिलाओं के आए थे। लखनऊ मेट्रो के अधिकारियों ने लॉन्चिंग के दिन भी दो महिला पायलटों को रेल चलाने की जिम्मेदारी दी थी ताकि महिला ड्राइवरों को अधिक प्रतिष्ठा प्राप्त हो सके।
समाज में लैंगिक समानता लाने के प्रयास जोरों पर हैं। हर एक वर्ग के लोगों को प्रेरित किया जा रहा है कि महिला, पुरुषों से समान स्तर पर व्यवहार किया जाए। तमाम कोशिशों ते बावजूद, इस सोच ने अभी तक पैठ बना रखी है कि कुछ भी कर लें, लड़कियां तो लड़कियां ही रहेंगी। कुछ भी कर लें वो होती तो शारीरिक रूप से कमजोर ही हैं। इन तमाम नकारात्मक माहौल को पीछे छोड़ते हुए महिलाएं नित तरक्की कर रही हैं। उन सारे क्षेत्रों में अपनी काबिलियत की कील ठोंक रही हैं जिनको तथाकथित पुरुष प्रधान कहा जाता है। थोड़ा लोग सुधर रहे हैं, ज्यादा महिलाएं मेहनत कर रही हैं। कुल मिलाकर लैंगिक असमानता की खाई को पाटने के लिए लगातार काम हो रहे हैं।
एलएमआरसी के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री कुमार केशव ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हमने पहली बार मुख्यमंत्री और आम लोगों के सामने मेट्रो चलाने के लिए दो महिला चालकों को चुना। हमारी महिला ड्राइवर आत्मविश्वास से भरी हुई हैं। वे मेट्रो चलाने के लिए इतनी उत्साहित थी कि परिक्षण के दिन भी इसे चलाने की इच्छा रखती थी। इन महिलाओं को बहुत अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने पहले एलएमआरसी के सेंटर ऑफ एक्सलेंस से प्रशिक्षण लिया और फिर दिल्ली मेट्रो रेल कोरपोरेशन में रहकर भी सीखा।
प्रतिभा और प्राची ने चार कोच वाली इस रेल को पहले दिन 6 किमी की दूरी तय करके 6 स्टेशनो से गुजरते हुए चलाया। इनकी यात्रा ट्रांसपोर्ट नगर मेट्रो डेपो से शुरू होते हुए लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर आकर रुकी। पूजा और प्रियंका, दो महिला लोको पायलटों ने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लखनऊ मेट्रो पर पहली यात्रा कराई थी। इन दो पायलट्स के अलावा 19 अन्य महिला लोको पायलट पद पर तैनात हैं जिन्हें लखनऊ मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (एलएमआरसी) द्वारा मेट्रो ट्रेनों को पायलट करने के लिए भर्ती किया गया था।
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