एक बड़ा फैसला लेते हुए उत्तर प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में मिलने वाले आरक्षण को खत्म कर दिया है।
यूपी में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की बात की जाये, तो 14 कॉलेज ऐसे हैं जहां एमबीबीएस की 1,550 सीटें हैं और 25 प्राइवेट डेंटल कॉलेजों में अंडर ग्रैजुएट प्रोग्राम्स के लिए 2,500 सीटें हैं।
पिछली अखिलेश सरकार ने आरक्षित वर्ग और गरीब तबके के स्टूडेंट्स के लिए मेडिकल कॉलेज में आरक्षण की व्यवस्था लागू की थी। जिससे गरीब और आरक्षित वर्ग के छात्रों के लिए आधी सीटें आरक्षित हो गई थीं। इतना ही नहीं उन्हें पढ़ने के लिए बाकी छात्रों की तरह 10 लाख फीस की जगह सिर्फ 36 हजार रुपये देने पड़ते थे। लेकिन अब न तो उन्हें किसी तरह के आरक्षण का लाभ मिलेगा और न फीस में छूट मिलेगी। यूपी में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की बात की जाये, तो 14 कॉलेज ऐसे हैं जहां एमबीबीएस की 1,550 सीटें हैं और 25 प्राइवेट डेंटल कॉलेजों में अंडर ग्रैजुएट प्रोग्राम्स के लिए 2,500 सीटें हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो सीधे तौर पर 2,700 सीटें गरीब और पिछड़ों के लिए आरक्षित थीं।
हालांकि प्राइवेट कॉलेजों में आरक्षण की व्यवस्ता मुख्यमंत्री मुलायम सिंह की सरकार के दौरान 2006 में लागू की गई थी, जिसके तहत राज्य स्तरीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सरकारी कॉलेज के साथ सभी प्राइवेट कॉलेजों में SC,ST और OBC का कोटा लागू किया गया था, यह कोटा ग्रैजुएट और पोस्ट ग्रैजुएट दोनों ही कोर्सों के लिए सामान रूप से लागू करने की बात कही गई थी। लेकिन सरकारी आदेश के बावजूद इसे सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा था। बाद में अखिलेश की सरकार के आने के बाद इसे सही तरीके से लागू करने पर जोर दिया गया था।
योगी सरकार के इस फैसले को यूपी चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) के मनमोहन वैद्य द्वारा आरक्षण नीति की फिर से समीक्षा करने वाले बयान से भी जोड़कर देखा जा है। अब देखना है कि गरीबों और पिछड़ों को साथ लेकर चलने और विकास का दावा करने वाली योगी सरकार ऐसे स्टूडेंट्स के लिए क्या व्यवस्था करती है।
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