भारती एयरटेल में परिवार की 3 फीसदी हिस्सेदारी भी इसमें शामिल है। राशि का बड़ा हिस्सा विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय की स्थापना पर खर्च किया जाएगा।
देश के टॉप अरबपतियों में शुमार उद्योगपति सुनील मित्तल ने अपने जन्मदिन के मौके पर अपनी कुल संपत्ति का 10 प्रतिशत हिस्सा सामाजिक कार्यों में लगाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि इन पैसों से भारत में विश्व स्तर की यूनिवर्सिटीज बनाई जाएंगी। अगर अनुमान लगाया जाए तो भारती की संपत्ति का 10 प्रतिशत लगभग 7,000 करोड़ रुपये बनता है। भारती एयरटेल में परिवार की 3 फीसदी हिस्सेदारी भी इसमें शामिल है। राशि का बड़ा हिस्सा विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय की स्थापना पर खर्च किया जाएगा। सत्य भारती यूनिवर्सिटी फॉर साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी नाम के विश्वविद्यालय को एमआईटी, स्टेनफर्ड और बार्कली जैसे संस्थानों की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
जितने भी पैसे दान करने की बात कही गई है उसमें से अधिकतर पैसा शिक्षा के क्षेत्र में लगाया जाएगा। भारती की कंपनी इस विश्वविद्यालय के लिए फेसबुक, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट आदि से करार की योजना बना रही है। इस यूनिवर्सिटी में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसे विषयों पर जोर दिया जाएगा। पंजाब या हरियाणा में करीब 100 एकड़ में बनने वाले विश्वविद्यालय में लगभग 10,000 छात्र होंगे। खास बात यह है कि संस्थान में गरीब बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाएगी।
जिस यूनिवर्सिटी की परिकल्पना की गई है उसे उत्तर भारत में 2021 तक स्थापित कर दिया जाएगा। मित्तल ने कहा कि भारती परिवार ने जो राशि देने का संकल्प लिया है उसमें से ज्यादातर राशि यूनिवर्सिटी प्रॉजेक्ट में लगेगी। यूनिवर्सिटी के लिए जमीन का फैसला अभी होना है और इसमें 10,000 विद्यार्थियों को शिक्षा देने की योजना है। बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए सुनील भारती ने कहा, 'अब 60 वर्ष का हो गया हूं और कुछ अलग करने के बारे में सोच रहा था। बातचीत के दौरान एक बच्चे ने कहा कि हम भारतीय फाउंडेशन का काम क्यों नहीं बढ़ाते। फिर रात के भोजन के समय हमने 10 फीसदी संपत्ति परोपकार में लगाने के बारे में सबकी राय ली। न केवल सबने हां कही बल्कि इस फैसले का जोरदार स्वागत भी किया।'
शिक्षा के अलावा बाकी दूसरे क्षेत्रों में काम करने की बात पर भारती ने कहा कि हमने मुकदमे झेल रहे वंचित लोगों के लिए न्याय भारती शुरू की। अदालतों में लड़ाई लड़ना बहुत मुश्किल है। 100 लोग जेल से बाहर आए। स्वच्छ भारत में हमने बड़ा काम किया। अमृतसर को हमने गोद लिया है। मगर फोकस शिक्षा पर रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि 60 और 70 के दशक में बिजनेस करना इतना आसान नहीं था और इसलिए भारत में इतनी अमीरी नहीं थी कि दान दिया जा सके। पहले टाटा, बिड़ला और सिंघानिया का ही दानदाताओं में नाम होता था। लेकिन अब वक्त बदलने के साथ ही उद्योगपतियों की दान करने की प्रवृत्ति में खासा इजाफा हुआ है।
हालांकि इससे पहले भी इन्फोसिस के सह संस्थापक नंदन निलेकणी और उनकी पत्नी रोहिणी ने हाल ही में अपनी आधी संपत्ति को समाज की भलाई में लगाने का ऐलान किया था। अगर हम दुनिया के बड़े उद्यमियों की बात करें तो फेसबुक के फाउंडर मार्क जकरबर्ग और माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स जैसे लोगों ने भी अपनी कमाई का ज्यादा से ज्यादा मानव कल्याण के लिए दान करने की शपथ ली है।
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